Cart (0) - ₹0
  1. Home
  2. / blog
  3. / history-of-ram-temple

राम मंदिर का इतिहास | History of ram temple

राम मंदिर का इतिहास | History of ram temple

राम राम दोस्तों, अयोध्या सरयू के किनारे बसा एक छोटा-सा नगर जो कि हिंदुस्तान की धार्मिक परंपरा से लेकर सियासत के बीच घूमता रहा। अवध नगरी अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर रहा है। यही है हिंदुओं के आराध्य श्री राम की जन्मभूमि कहा जाता है।

कहा जाता है कि राम जी के पुत्र कुश ने फिर से अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था। इसके बाद महाभारत काल में हुए युद्ध के बाद भी अयोध्या फिर से उजाड़ हो गई। भव्य मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाए गए लेकिन भगवान श्री राम की जन्मभूमि कभी नष्ट नहीं हो सकती। दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपको राम मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।

श्री राम मंदिर का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अयोध्या को महाकाव्य रामायण में भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है। भगवान श्री राम प्रजा सहित बैकुंठ धाम चले जाने के बाद कई सालों तक यह भूमि यूं ही पड़ी रही थी। लेकिन भारत में किसी न किसी राजा ने भगवान राम के मंदिर के पुनर्निर्माण में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं दिखाई है।

कुश द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण

इसके बाद में राम जी के पुत्र के कुश ने अयोध्या को फिर से बसाया। इसका वर्णन कालिदास के ग्रंथ रघुवंश में मिलता है लोमश रामायण के अनुसार उन्होंने ही सबसे पहले अपने परमपिता की पूज्य जन्म भूमि पत्थरों के खंभों वाले मंदिर का निर्माण करवाया।

विक्रमादित्य द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण

भविष्य पुराण के अनुसार उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व में एक बार फिर से दूसरी बार उजड़ चुकी अयोध्या का निर्माण करवाया। यह धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त थे।

उन्होंने अयोध्या मैं सरयू नदी के लक्ष्मण घाट को आधार बनाकर 360 मंदिरों का निर्माण करवाया था साथ ही उन्होंने श्री राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाया था।

विक्रमादित्य के बाद के राजाओं ने भी समय-समय पर अयोध्या राम मंदिर की देख-रेख की उन्हें राजाओं में से एक शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग ने भी अपने समय पर अयोध्या राम मंदिर का रिनोवेशन करवाया था। 

अयोध्या राम मंदिर इतिहास जानने के लिए हुई खुदाई में ऐसे अनेकों रिकॉर्ड मिले हैं। जिनसे यह पता चलता है कि गुप्त वंशीय सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय के समय और उसके काफी समय बाद तक अयोध्या ही मुक्त साम्राज्य की राजधानी थी गुप्तकालीन समय के महाकवि कालिदास ने भी अयोध्या राम मंदिर और उसके पौराणिक इतिहास का अपने महाकाव्य रघुवंश में कई बार जिक्र किया है।